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एआई: '$4,800 अरब का भविष्य', मगर डिजिटल दरारों के गहरा होने का जोखिम भी

जनरेटिव एआई का विकास और प्रयोग तेज़ी से बढ़ रहा है.
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जनरेटिव एआई का विकास और प्रयोग तेज़ी से बढ़ रहा है.

एआई: '$4,800 अरब का भविष्य', मगर डिजिटल दरारों के गहरा होने का जोखिम भी

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि कृत्रिम बुद्धिमता (AI), वर्ष 2033 तक 4,800 अरब डॉलर का वैश्विक बाज़ार बनने की ओर अग्रसर है, जोकि लगभग जर्मनी की अर्थव्यवस्था के बराबर है. हालांकि विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि यदि उपयुक्त क़दम नहीं उठाए गए तो एआई का लाभ केवल चंद हाथों तक ही सीमित रह जाने का जोखिम भी है.

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास संगठन (UNCTAD) की नई 'टैक्नॉलॉजी व नवाचार' रिपोर्ट में एआई क्षेत्र में बढ़ती असमानता पर चेतावनी दी गई है और उसमें छिपी सम्भावनाओं को साकार करने के लिए एक रोडमैप भी पेश किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, इस टैक्नॉलॉजी पर शोध व विकास के लिए होने वाले निवेश का क़रीब 40 फ़ीसदी, केवल 100 कम्पनियों द्वारा किया जा रहा है, जिनमें से अधिकाँश संयुक्त राज्य अमेरिका व चीन में हैं. 

ऐप्पल, निविडया और माइक्रोसॉफ्ट जैसे प्रमुख कम्पनियों में से हर एक का बाज़ार मूल्य लगभग तीन हज़ार अरब डॉलर है, जो पूरे अफ़्रीकी महाद्वीप के सकल घरेलू उत्पाद से भी अधिक है. यह दर्शाता है कि एआई की शक्ति चन्द हाथों में केन्द्रित हो रही है.

राष्ट्रीय और कॉर्पोरेट स्तर के बाज़ारों पर इस प्रभुत्व से टैक्नॉलॉजी क्षेत्र में दरारें और गहरा होने की आशंका है, जिससे कई विकासशील देश इसके लाभों से वंचित हो सकते हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रगति का एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है, लेकिन यह स्वाभाविक रूप से समावेशी नहीं है. इसके मद्देनज़र, बुनियादी डिजिटल ढाँचे में निवेश करने और एआई पर नियंत्रण कसने का आग्रह किया गया है. 

UNCTAD की महासचिव, रेबेका ग्रीनस्पैन ने एआई विकास के केन्द्र में आमजन को रखने और मज़बूत अन्तरराष्ट्रीय सहयोग का आहवान किया. उन्होंने कहा कि देशों को अपना ध्यान, प्रौद्योगिकी से हटाकर लोगों की ओर मोड़ना होगा, ताकि सभी देश, एक साथ मिलकर एक वैश्विक एआई ढाँचे का निर्माण कर सकें. 

एआई टैक्नॉलॉजी के साझा नियंत्रण से असमानताएँ बढ़ने से रोका जा सकता है.
© Unsplash/Igor Omilaev
एआई टैक्नॉलॉजी के साझा नियंत्रण से असमानताएँ बढ़ने से रोका जा सकता है.

कौशल में निवेश आवश्यक

रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि एआई से दुनिया भर के 40 फ़ीसदी रोज़गारों पर असर पड़ सकता है. इससे उत्पादकता में तो लाभ होगा, लेकिन स्वचालन (automation) से रोज़गार ख़त्म होने का ख़तरा भी बढ़ेगा. विशेष रूप से उन अर्थव्यवस्थाओं में जहाँ कम लागत वाले श्रमिक अभी तक मुनाफ़े की वजह रहे हैं. 

मगर, एआई का मतलब केवल रोज़गारों की हानि नहीं है – उम्मीद है कि इससे नए उद्यम व अवसर भी पैदा होंगे और श्रमिकों का सशक्तिकरण सम्भव होगा. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई के ज़रिए रोज़गार ख़त्म करने की बजाय, रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लिए फिर से नए कौशल विकसित करने, कौशल-सुधार लाने व ज़रूरत के अनुरूप कार्यबल को ढालने के लिए निवेश ज़रूरी है.

एआई का समावेशी विकास

एआई, दुनिया के आर्थिक भविष्य को आकार दे रहा है, फिर भी 118 देशों को एआई की संचालन व्यवस्था से जुड़ी चर्चाओं में शामिल नहीं किया गया है. इनमें से अधिकतर विकासशील देश हैं.

एआई नियामन और सत्यनिष्ठा फ़्रेमवर्क को आकार देने की चर्चाओं में विकासशील देशों की भागेदारी बेहद आवश्यक है, ताकि केवल चंद लोगों के हितों की रक्षा के बजाय, वैश्विक प्रगति सम्भव हो सके.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मज़बूत अन्तरराष्ट्रीय सहयोग से एक ऐसे वैश्विक एआई ढाँचे का निर्माण किया जा सकता है जो समानता, पारदर्शिता और साझा लाभों को प्राथमिकता देता हो.

UNCTAD की रिपोर्ट में एआई से समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप दिया गया है ताकि मौजूदा विभाजन और गहरा न हो जाए. 

रिपोर्ट के कुछ प्रमुख बिन्दु  

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि एआई का बाज़ार 4.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है – जोकि लगभग जर्मनी की अर्थव्यवस्था के बराबर है. लेकिन इसके लाभ कुछ ही देशों में केन्द्रित होंगे.
  • एआई से 40% वैश्विक रोज़गारों पर असर पड़ सकता है
  • कम से कम एक तिहाई विकासशील देशों में एआई से जुड़ी रणनीतियाँ मौजूद नहीं हैं.
  • एआई की संचालन व्यवस्था तय करने के प्रयासों में 118 देशों का प्रतिनिधित्व नहीं है.
  • विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने के लिए एआई बुनियादी ढाँचे, डेटा एवं कौशल निर्माण में निवेश करना होगा.